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Tuesday 30 August 2016

एसएफआई ने कहा : "घाटे में थी किंगफिशर, फिर भी कर्ज देते गए बैंक'

नई दिल्ली : वित्त मंत्रालय के स्पेशल फ्रॉड इन्वेस्टिंगेशन(SFI) ने विजय माल्या केस की जांच का दायरा बढ़ा दिया है। इसने 10 से ज्यादा उन पूर्व बैंक प्रमुखों की भी जांच शुरू कर दी है जिनके समय माल्या की कंपनी को लोन दिए गए थे। एसएफआई का कहना है कि माल्या की किंगफिशर एयरलाइंस को जब लोन दिया गया था, तब कंपनी को लगातार घाटा हो रहा था। लेकिन बैंकों ने लोन देने से पहले इस पर विचार नहीं किया और बिना पूरी पड़ताल के कंपनी को नए कर्ज भी दिए गए।

कुछ पूर्व बैंक प्रमुखों का कहना है कि एसएफआई ने उनसे संपर्क किया है। एसएफआई का कहना है कि किंगफिशर और माल्या के दूसरे असेट्स की वैल्युऐशन को बढ़ा-चढ़ाकर बताया गया था। लोन पास करने के पहले बैंक अधिकारियों ने इसके बारे में सही से पता नहीं किया। जब लोन पास किया गया या कर्ज की रकम बढ़ाई गई तो उस समय माल्या सीबीआई और ईडी जैसी एजेंसियों की जांच के घेरे में थे।

विलफुल डिफॉल्टर हैं माल्या

माल्या इस साल मार्च में देश छोड़कर चले गए थे। उनपर ब्याज समेत बैंकों के करीब 9,000 करोड़ रुपए बकाया हैं। माल्या की कंपनी को 2007 से 2010 के बीच अलग-अलग बैंकों से लोन पास हुए, जबकि 2008-09 के दौरान किंगफिशर का घाटा 1,600 करोड़ रुपए से ज्यादा पहुंच गया था।

ज्यादा वैल्युएशन की भी जांच

एसएफआई किंगफिशर की ज्यादा वैलुएशन की भी जांच कर रहा है। यह देखा जा रहा है कि ज्यादा कर्ज लेने के लिए कहीं गलत तरीके से वैलुएशन तो नहीं बढ़ाई गई। किंगफिशर की वैलुएशन ग्रांट थॉर्नटन इंडिया ने की थी।

प्रोजेक्ट लागत से अधिक का दे दिया कर्ज

वहीं हाइवे बनाने वाली कंपनियों को कर्ज देने में भी कई बैंकों ने दरियादिली दिखाई है। कई मामले ऐसे हैं जिनमें बैंकों ने प्रोजेक्ट की लागत से ज्यादा का कर्ज दे दिया। ट्रांसपोर्ट से जुड़ी संसदीय समिति ने इसपर आश्चर्य जताया है। कंवरदीप सिंह की अध्यक्षता वाली कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में जेपी इन्फ्राटेक का नाम लिया है। इसके बारे में पूरी जानकारी भी तलब की है। इसने एक उदाहरण देते हुए आश्चर्य जताया कि 1,000 करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट पर बैंकों ने 1,400 करोड़ का कर्ज कैसे दे दिया।

पूर्व राजमार्ग सचिव विजय छिब्बर ने भी कहा था कि बैंकों ने राजमार्ग बनाने वाली कंपनियों को "ओवर-फाइनेंसिंग' की थी। यहां जोखिम का आकलन किए बगैर बैंक कर्ज देते रहे।

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